“Diag पर लंगर’: स्वर्ण मंदिर ने अमेरिकी छात्रों को किया प्रेरित

सितम्बर 16, 2014
Contact:
  • umichnews@umich.edu

 सारा मार्शल स्वर्ण मंदिर पर रोटी बना रही है। छवि क्रेडिट: टेरेसा सिंह सारा मार्शल स्वर्ण मंदिर पर रोटी बना रही है। छवि क्रेडिट: टेरेसा सिंहएन आर्बर: उन्होने भारत के सबसे बड़े सीख धार्मिक स्थल – स्वर्ण मंदिर- में स्वयंसेवकों के साथ काम कर 60,000 लोगों को हर दिन भोजन खिलाया।

अब, यूनिवर्सिटी ऑफ़ मिशिगन के छात्र एन आर्बर में एक भोज दिवस का आयोजन कर रहे है जिसमें लोगों को नि:शुल्क भोजन खिलाया जाएगा । उसे वे “diag पर लंगर” कह रहे हैं।

“लंगर” का अर्थ है – सहारा। यह सार्वजनिक पूजा के अंत में परोसे भोजन को दर्शाता है। लंगर लोगों को सामाजिक और आर्थिक समानता पर एक साथ शाकाहारी भोजन में हिस्सा लेने पर जोर देता है अौर सिख धर्म में की सदियों पुरानी परंपरा है।

ये छात्र एन आर्बर में गुरुद्वारा साहिब समुदाय की मदद से करीब दस हजार लोगों खाना खिलाने वाले हैं। वो छोले, चटनी और सलाद बनाएंगे। इन्हें पैक करेंगे और करीब दस हजार लोगों में वितरित करेंगे। बचा खाना अनाथालय को दिया जाएगा। मिशिगन के छात्रों के दल का नेतृत्व यूनिवर्सिटी के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग और कम्प्यूटर साइंस के प्रोफेसर जसप्रीत सिंह ने किया। वह कहते हैं, “अमेरिकी समाज को भी जरूरत है कि अमीर-गरीब, नस्लों और अलग धर्मों के लोगों को एक जगह लाया जा सके। यूनिवर्सिर्टी का लंगर उन्हें यह मौका दे सकता है।”

जेसिका एलर स्वर्ण मंदिर में नए दोस्त बनाते हुये। छवि क्रेडिट: टेरेसा सिंहजेसिका एलर स्वर्ण मंदिर में नए दोस्त बनाते हुये। छवि क्रेडिट: टेरेसा सिंहजून में स्वर्ण मंदिर में, 13 यूनिवर्सिटी ऑफ़ मिशिगन स्नातक छात्रों “सेवा,” या काम करने के लिए हर सुबह जल्दी उठ जाते थे। वो सब्जियां काटते और पकाते थे, दाल साफ करते थे और रोटियां बनाते थे। इन लोगों ने यहां ये भी सीखा कि थोड़े समय तक कैसे आहार को बिना खराब हुए सुरक्षित रखा जा सकता है। वो सीख रहे थे कि स्वर्ण मंदिर का लंगर 600 वर्षों से कैसे काम करता हैं।

उनके अनुभव को भारत में “टाइम्स ऑफ इंडिया” अौर दूसरे मीडिया ने कवर किया।

भारत की यात्रा यूनिवर्सिटी ऑफ़ मिशिगन के “ग्लोबल इन्टरकल्चरल स्नातक कार्यक्रम” का हिस्सा था। माइकल जॉर्डन, वैश्विक और इन्टरकल्चरल अध्ययन (CGIS) केंद्र के निदेशक हैं अौर कहते हैं , स्वर्ण मंदिर कार्यक्रम GIEU के लिये एक मॉडल है।

“अपने समय पर यह अनुभव सीखने के बाद छात्र यह परंपरा अब यूनिवर्सिटी ऑफ़ मिशिगन में ला रहे है,” उन्होंने कहा।

जेसिका एलर, फोर्ड स्कूल में सार्वजनिक नीति की छात्र हैं। “यह यात्रा विनम्रता और प्रेरणा के बारे में था,” उसने कहा। “भोजन के दौरान मेरे बगल में बैठा व्यक्ति लंदन से करोड़पति या भिखारी लड़की हो सकता था। पर हर किसी को एक ही सेवा प्राप्त होगा,” एलर ने कहा।

शाकाहारी चना रैप बाटँने के साथ-साथ, छात्र मंदिर में अपने अनुभवों के बारे में भी बातचीत करेंगे।

 स्वर्ण मंदिर में छात्रों के साथ जसप्रीत सिंह। छवि क्रेडिट: टेरेसा सिंह स्वर्ण मंदिर में छात्रों के साथ जसप्रीत सिंह। छवि क्रेडिट: टेरेसा सिंहसारा मार्शल, पर्यावरण और इंटरनेशनल स्टडीज की छात्र हैं, वह मंदिर में प्राप्त प्रेम और करुणा पर चर्चा करेंगी। मार्शल ने अपने सेवा के रूप में रोटी बनाना चुना और जल्द ही वहां महिलाओं के साथ एक समुदाय का गठन हो गया।

“मुझे पंजाबी नहीं आता, लेकिन मुझे हर सुबह परिचित चेहरों को देख कर आराम महसूस होता था” उसने कहा।

राधा पटेल, साहित्य, विज्ञान, और कला के कॉलेज में sophomore हैं। उसने कहा कि इस अनुभव ने उसे यह दिखाया कि स्वयंसेवक काम करके बहुत कुछ प्राप्त किया जा सकता है। “समुदाय भारतीय संस्कृति में बहुत महत्वपूर्ण है,” उसने कहा।

सिंह भारत में बढ़े हुये और बचपन में अक्सर स्वर्ण मंदिर जाते थे। लेकिन तब वो वह खाना बनाने और मंदिर में भोजन की सेवा के लिए स्वयंसेवकों के समर्पण को समझ नहीं पाये।

“छात्रों को हैरानी हैं कि यह काम कैसे तनाव मुक्त तरीके से किया जाता हैं,” उन्होंने कहा।

Diag में इस आयोजन की मेजबानी के साथ साथ, सिंह ने एक सर्वोत्तम प्रथाओं हैंडबुक विकसित किया है जिसे वो डेट्रायट, Ypsilanti और एन आर्बर में स्थानीय समुदायों के साथ बाटँना चाहते है।

“मुझे ऐसे इवेंट बनाने की खुशी है जो आसपास के बाधाओं को तोड देता है ,” सिंह ने कहा।

संबंधित लिंक:

उम पर सभी चीजें भारत: http://umindia.tumblr.com
ग्लोबल मिशिगन: http://global.umich.edu