टैकनालजी कितनी अच्छी तरह से सामाजिक समस्याओं को हल कर सकता है?
एन आर्बर: मिशिगन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर केनटारो टोयामा भारत में छात्रों के लिए कंप्यूटर के बेहतर उपयोग पर अध्ययन कर रहे थे जब उन्होंने देखा कि सरकारी स्कूलों में एक कंप्यूटर पर कई छात्र काम कर रहे थे।
तो, टोयामा और उनके सहयोगियों ने एक संभावित सॉफ्टवेयर तैयार किया जिससे कई बच्चें एक ही समय एक कंप्यूटर का उपयोग कर सकेगें और प्रत्येक का कर्सर स्क्रीन पर होगा।
शोधकर्ताओं ने पाया कि एक कंप्यूटर पर पांच बच्चें भी एक बच्चे की तरह ही अच्छे से सीख सकते है। लेकिन जब उन्होंने प्रयोग को आसपास के स्कूलों में दोहराया तो वो विफल हो गया।
टोयामा ने सीखा कि प्रौद्योगिकी अकेले समस्याओं को हल नहीं कर सकता – यह सबसे अधिक प्रभावी होता है जब उसके साथ सक्षम, बुनियादी मानव बल होता है।
“जिस स्कूल में (सॉफ्टवेयर ने) काम किया वहां हमें प्रिन्सपल का प्रोत्साहन था, और शिक्षक सीखाने में लगे हुये थे। लेकिन अन्य स्कूलों में यह समर्थन प्रणाली उपलब्ध नही थी और प्रौद्योगिकी ने काम नहीं किया,” टोयामा ने कहा जो उ-एम के सूचना स्कूल में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। वे अपने नये किताब ” गीक हैरसी: रेस्क्यूंग सोशल चेन्ज फ्रम दी कल्ट आफ टेक्नालजी” में टेक्नालजी की सीमा की जांच- पड़ताल करते है।
जब वह २००४ में भारतीय स्कूलों में अनुसंधान कर रहे थे, तब टोयामा बंगलौर में माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च इंडिया के सह-संस्थापक थे। उन्होंने गरीबी, अशिक्षा, स्वास्थ्य और बेरोजगारी के लिये तकनीकी समाधान खोजने पर ध्यान केंद्रित किया और 50 से अधिक परियोजनाओं में काम किया।। बंगलौर में अपने कार्यकाल के अंत में वे इस नतीजे पर पहुँचे कि इन सवालों का जवाब टैकनालजी नहीं हैं।
टोयामा का तर्क है कि लोगों की मदद करने के लिये उन्हें तकनीक का उपभोक्ता नही लेकिन टैकनालजी का उत्पादक — इंजीनियर, बिजनेस मैन और कंपनियों के पेशेवर — बनाना बेहतर है।
“यदि आप एक आई फोन खरीदते है तो आपको खुशी मिलती है, लेकिन एप्पल के कर्मचारियों और शेयरधारकों को पैसा मिलता है,” उन्होंने कहा।
लोगों को प्रोग्रामिंग के लिए कंप्यूटर की जरूरत है टोयामा ने कहा, लेकिन हर बच्चे के पास एक लैपटॉप होना चाहिए, यह विश्वास बहुत अलग है।
“कोई भी फेसबुक उपयोगकर्ता बन सकता है, लेकिन फेसबुक में एक इंजीनियर होने के लिए मेहनत करनी पडती हैं। एक अच्छा कंप्यूटर वैज्ञानिक होने के लिये अच्छी गणित शिक्षा आवश्यक है पर उसके लिये कंप्यूटर की जरूरत नही है,” टोयामा ने कहा।
प्रौद्योगिकी को एक व्यापक संदर्भ में लागू करना चाहिये जिसमें समुदायों को अपनी क्षमता में सुधार करने का मौका मिले, उन्होंने कहा। गरीब समुदायों में लोगों को अक्सर अनदेखा कर दिया जाता हैं लेकिन वास्तव में यह मानव बल सामाजिक परिवर्तन के लिए महत्वपूर्ण हैं।
टोयामा ने कहा कि जब टैकनालजी काम करता है, तो उसका बड़ा प्रभाव होता है। डिजिटल ग्रीन उनके माइक्रोसॉफ्ट परियोजनाओं में से एक था। यह एक अभिनव मंच है जिसमें किसान वीडियो के माध्यम से नई कृषि तरीके सीखते है। डिजिटल ग्रीन अब $5 लाख वार्षिक बजट वाला एक गैर-लाभकारी संगठन बन गया हैं और इथोपिया, घाना, तंजानिया और आठ भारतीय राज्यों के गांवों में काम करता है।
“क्डिजिटल ग्रीन ने इसलिये काम किया क्योंकि एक व्यक्ति जिसपर किसानों को विश्वास है, वो वीडियो के साथ उनकी बातचीत की मध्यस्थता करता है,” टोयामा ने कहा। “सहयोगियों के बिना कोई डिजिटल ग्रीन नहीं होगा”।
अमेरिका लौटने के बाद, टोयामा ने सिएटल में लेकसाइड स्कूल में बच्चों को पढ़ा कर समय बिताया जहाँ बिल गेट्स भी पढ़ चुके है। स्कूल के पास पर्याप्त तकनीक है लेकिन वह समझते है कि बच्चों के सीखने के लिए टैकनालजी नही लेकिन अडल्ट देखरेख की जरूरत है, उन्होंने कहा।
“इन छात्रों के पास चौबीसों घंटे इंटरनेट था और अगर चाहते तो कई खान अकादमी वीडियो देख सकते थे। फिर भी उनको बढ़ावा देने के लिये उनके माता पिता ने टैकनालजी नही लेकिन एक अच्छे शिक्षक का मार्गदर्शन चुना।”
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