चाँद पर पानी पाया गया

फ़रवरी 20, 2013
Contact:
  • umichnews@umich.edu

चंद्र एनअोर्थोसाइट के इस नमूने को उत्पत्ति रॉक" कहा जाता है। अपोलो १५ मिशन के दौरान एकत्र किये गये इस टुकड़े को चाँद के मूल परत का समझा जाता हैं। प्रकृति जिअोसाइअन्स पत्रिका में 17 फ़रवरी को प्रकाशित पेपर में यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन के शोधकर्ता और उनके सहयोगियों ने कहा कि चट्टान में पानी के निशान  पाए गए। / शिष्टाचार: नासा के जॉनसन स्पेस सेंटर का फोटोचंद्र एनअोर्थोसाइट के इस नमूने को उत्पत्ति रॉक” कहा जाता है। अपोलो १५ मिशन के दौरान एकत्र किये गये इस टुकड़े को चाँद के मूल परत का समझा जाता हैं। प्रकृति जिअोसाइअन्स पत्रिका में 17 फ़रवरी को प्रकाशित पेपर में यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन के शोधकर्ता और उनके सहयोगियों ने कहा कि चट्टान में पानी के निशान पाए गए। / शिष्टाचार: नासा के जॉनसन स्पेस सेंटर का फोटोएन आर्बर – अपोलो मिशन के दौरान प्राप्त चंद्र हाइलैंड की ऊपरी परत के खनिज नमूनों की संरचना के भीतर पानी पाया गया है, यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन के शोधकर्ता और उनके सहयोगियों ने कहा।

चंद्र हाइलैंड्स के मूल परत प्रारंभिक चाँद के पिघले हुअे मैगमा सागर के प्रतिनिधित्व हैं। नए नतीजों से संकेत मिलता है कि प्रारंभिक चाँद गीला था और उस के निर्माण के दौरान काफ़ी हद तक पानी खोया नही हैँ।

परिणाम प्रमुख चंद्र गठन सिद्धांत का खंडन करता हैं कि चाँद पृथ्वी और एक अन्य ग्रह – जो लगभग मंगल ग्रह के आकार का था- के बीच एक विशाल प्रभाव के दौरान उत्पन्न मलबे से गठन हुया था, यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन के शोधकर्ता यूशू जांग और उनके सहयोगियों ने कहा।

“क्योंकि ये चाँद की सबसे पुरानी चट्टाने हैं, इस से यह निष्कर्ष निकालता है कि पानी चाँद के गठन के दौरान मौजूद था,” जांग ने कहा। “यह कुछ हद तक समझना मुश्किल है क्योंकि मौजूदा लोकप्रिय मॉडल के अनुसार चाँद गठन, पृथ्वी अौर एक विशाल ग्रह के प्रभाव के दौरान गर्म उत्सर्ग को एकत्रित कर हुया था। “

“उस मॉडल के तहत, गर्म उत्सर्ग लगभग पूरी तरह से गैस रहित है जिस के कारण सारा पानी नष्ट हो जायेगा,” जांग ने कहा।

यह पेपर जिसका शीर्षक “चंद्र एनअोर्थोसाइट अौर प्रारंभिक चाँद में जल का सबूत” प्रकृति जिअोसाइअन्स पत्रिका में 17 फ़रवरी को ऑनलाइन प्रकाशित किया गया। पेपर के पहले लेखक, यूनिवर्सिटी ऑफ नोटर डेम के सिविल, पर्यावरण इंजीनियरिंग और पृथ्वी विज्ञान विभाग में पोस्ट डॉक्टरेट हेजिउ हुई है। हुई यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन में जांग की देखरेख में पृथ्वी और पर्यावरण विज्ञान विभाग में डॉक्टर की उपाधि प्राप्त की।

पिछले पाँच वर्षों में, अंतरिक्ष यान द्वारा निरीक्षण और अपोलो के चंद्र नमूनो की प्रयोगशाला में माप ने लंबे समय से संघटित धारणा कि चाँद सूखा है को पलट दिया है।

२००८ में, अपोलो के चंद्र नमूने की आयन सूक्ष्मजाँच द्वारा प्रयोगशाला में माप करने पर देशी हाइड्रोजन का पता चला है, जो पानी से संबंधित रासायनिक हाइड्रॉक्सिल प्रजातियों मे अौर ज्वालामुखी गिलास में भी पाया जाता है। २००९ में, नासा के लूनर क्रेटर अवलोकन और सेंसिंग उपग्रह ने – जिसे LCROSS के रूप में जाना जाता है – चाँद के एक स्थायी खड्ड को पटका जिसके कारण काफी सामग्री बरामद हुई जो पानी बर्फ में समृद्ध थी।

हाइड्रॉक्सिल अन्य ज्वालामुखी चट्टानों में और चंद्र रेगोलिथ – जो चंद्रमा की सतह की बारीक पाउडर और पथरीले टुकड़ो- में पाया जाता है। हाइड्रॉक्सिल हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के एक एक परमाणु को मिला कर बनाया जाता है। यह प्रकृति जिअोसाइअन्स के चंद्र एनअोर्थोसाइट रिपोर्ट में भी पाया गया है।

इस नवीनतम काम में, फूरियर रूपांतरण इन्फ्रारेड स्पेक्ट्रोस्कोपी का प्रयोग कर चंद्र एनअोर्थोसाइट मे पाये गये पलेजिअोक्लेस फेल्ड्स्पार के अणु मे पानी का विश्लेषण किया गया। ये चट्टाने ९० प्रतिशत से अधिक पलेजिअोक्लेस से गठित है। यह चमकीले हाइलैंड्स चट्टाने चंद्रमा के इतिहास में तब बने थे जब पलेजिअोक्लेस एक मैग्मा सागर की सतह मे तैर कर अाये थे।

इन्फ्रारेड स्पेक्ट्रोस्कोपी के द्वारा, जो यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन मे जांग की प्रयोगशाला में और सह लेखक ऐनी एच. पेसलीयर की प्रयोगशाला में किया गया था, चंद्र एनअोर्थोसाइट में पानी 6 मिलियन प्रति भागों में पाया गया।

“आश्चर्य की बात यह है कि चाँद की चट्टानों में, यहा तक के जल रहित पलेजिअोक्लेस फेल्ड्स्पार में भी, पानी देखा जा सकता है,” जेम्स आर अो नील भूवैज्ञानिक विज्ञान के कॉलेजिएट प्रोफेसर जांग ने कहा।

“इन अध्ययनों के दौरान ‘तरल’ पानी नहीं, लेकिन खनिज अणु के भीतर हाइड्रॉक्सिल समूहों को मापा गया,” नोटर डेम के हुई ने कहा। “हमने उन हाइड्रॉक्सिल समूहों अपोलो नमूनों की क्रिस्टलीय संरचना में भी पाया है।”

टीम द्वारा पाये गये हाइड्रॉक्सिल समूहों इस बात का सकेंत देते है कि चाँद के भीतर प्रारंभिक चाँद के दौरान महत्वपूर्ण भाग मे पानी था। अौर यह पानी ने परत जमने से पहले , चंद्र असिताश्म के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हुई ने कहा कि “पानी की उपस्थिति इस बात को सुचित करना है कि चंद्र मैग्मा सागर को जमने में, लोकप्रिय निर्जल चाँद परिदृश्य की तुलना में, अधिक समय लगा।”

शोधकर्ताओं ने १५४१५ अौर ६००१५ फेरोअन एनअोर्थोसाइट के खनीज कण अौर टोटोलाइट ७६३५ का विश्लेषण किया। फेरोअन एनअोर्थोसाइट १५४१५ अपोलो संग्रह का सबसे लोकप्रिय चट्टानों मे से है और इसे प्रारंिभक चट्टान कहा जाता है क्योंकि ऐस्ट्रनॉट का सोचना है कि ये चाँद की मूल परत का एक टुकड़ा है। इसे अपूर गड्ढा से अपोलो १५ के मिशन के दौरान एकत्र किया गया था।

चट्टान ६००१५ फेरोअन एनअोर्थोसाइट अपोलो १६ मिशन के दौरान चंद्रमा की मॉड्यूल के पास एकत्र किया गया था। टोटोलाइट ७६३५ अपोलो १७ मिशन के दौरान एकत्र किया गया रॉक है।

सह लेखक पेलियर याकूब प्रौद्योगिकी और नासा के जॉनसन स्पेस सेंटर से जुडे है। प्रकृति जिअोसाइअन्स पेपर के चौथे लेखक, क्लाइव आर नील, नोटर डेम विश्वविद्यालय में सिविल, पर्यावरण इंजीनियरिंग और पृथ्वी विज्ञान के एक प्रोफेसर है। इस काम को नासा द्वारा समर्थित किया गया हैं।