दुनिया के संकालन से बाहर: उदास लोगों के मस्तिष्क के अध्ययन से पता चलता है कि उनके शरीर की घड़ियाँ सेल स्तर पर बदल रही हैं
दुःखी दिमाग में दैनिक ताल के परिवर्तन का पहला प्रत्यक्ष प्रमाण प्राप्त, बेहतर उपचार की आशा
एन आर्बर, – रात-दिन, प्रकाश-अंधेरे के चक्र से समायोजित हमारे शरीर की हर कोशिका एक 24 घंटे की घड़ी पर चलती है। मस्तिष्क एक टाइमकीपर के रूप में काम करता है आौर सेलुलर घड़ी के द्वारा हमारी भूख, नींद, और मनोदशा पर नियंत्रन रखता हैं।
लेकिन नए अध्ययन में पता चलता है कि यह घड़ी निराश लोगों के दिमाग में जीन गतिविधि के स्तर पर टूटा हुआ है ।
यह पहला प्रत्यक्ष प्रमाण है कि उदास लोगों के मस्तिष्क उनके दैनिक चक्र के संकालन से बाहर है। यह निष्कर्ष यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन मेडिकल स्कूल और अन्य संस्थानों के वैज्ञानिकों द्वारा प्रोसीडिंगज़ राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी में प्रकाशित किया गया।
खोज दान में दिये गये उदासी और गैर उदासी दिमाग के भारी मात्रा में डेटा से सूचना बटोर कर किया गया था। यह निष्कर्ष आगे अनुसंधान, सटीक निदान और उपचार में मदद कर सकता हैं। दुनिया भर में ३५० मिलियन से अधिक लोग इससे प्रभावित होते है।
यही नहीं, शोध से यह भी पता चलता है कि मस्तिष्क के कई क्षेत्रों में कई जीनों की गतिविधि के लिए दैनिक ताल जरूरी हैं अौर हमारे शरीर की घड़ी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
एक सामान्य मस्तिष्क में जीन गतिविधि का पैटर्न एक निश्चित समय पर इतना विशिष्ट होता हैं कि इससे लेखक मस्तिष्क दाता की मौत के समय का अनुमान लगा सकते हैं अौर फोरेंसिक में भी इस्तेमाल कर सकते हैं । इसके विपरीत, गंभीर रूप से उदास रोगियों में, दैनिक घड़ी इस कदर ठप हो गई हैं कि मरीज की “दिन” पैटर्न की जीन गतिविधि “रात” पैटर्न की तरह लग सकता है।
इस अध्ययन को Pritzker नुरसाइकीऐट्रिक विकार रिसर्च फंड द्वारा बड़े हिस्से में वित्त पोषित किया गया हैं, और इसमें यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन, यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के इरविन और डेविस परिसर, वेल कॉर्नेल मेडिकल कॉलेज, हडसन अल्फा संस्थान की जैव प्रौद्योगिकी, और स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ता भी शामिल हैं।
टीम ने मौत के शीघ्र बाद दान में प्राप्त दिमाग का उपयोग किया अौर साथ में व्यक्ति के बारे में व्यापक नैदानिक जानकारी का भी इस्तेमाल किया। प्रत्येक मस्तिष्क के कई क्षेत्रों को हाथ से या लेज़रों के साथ विच्छेदित किया गया ताकि विशेष प्रकार की कोशिकाओं को कब्जा कर जीन गतिविधि को माप कर विश्लेषण किया जा सके। परिणामस्वरूप उन्नत डाटा को खनन उपकरणों के जाचां गया।
लीड लेखक जून ली, पीएच.डी., यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन के यूमन जेनेटिक्स विभाग में एक सहायक प्रोफेसर हैं। उनके अनुसार जीन टिप्पण द्वारा गैर उदास व्यक्ति के मृत्यु के बाद उनके आखरी दिन के २४ घंटे की गतिविधियों को मापा जा सकता था आौर टीम यह भी बता सकती थी कि मरते समय कौन से जीन सक्रिय थे। उन्होनें अध्ययन में ५५ दिमाग के छह क्षेत्रों से १२,००० जीन टेप देखे।
उन्होनें मस्तिष्क के क्षेत्रों में दिन भर की विविध जीन गतिविधि का अध्ययन किया जिससे एक विस्तृत जानकारी मिली। लेकिन जब टीम ने ३४ निराश व्यक्तियों के दिमाग में भी ऐसा ही करने की कोशिश की, जीन गतिविधि कई घंटे से अलग थी। कोशिकाओं को देखकर लगता था कि वो बिल्कुल अलग समय पर हैं।
“यह वास्तव में खोज का एक पल था,” ली कहते हैं, जिन्होनें टीम द्वारा उत्पन्न विशाल डेटा का विश्लेषण करने में नेतृत्व किया। वह यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन में कम्प्यूटेशनल चिकित्सा के जैव सूचना विज्ञान में अनुसंधान सहायक प्रोफेसर है। “जब हमने सामान्य व्यक्तियों की जीन गतिविधियों को देखा तो एहसास हुआ कि जीन परिचित दैनिक ताल पर चलते है। और जब हम अवसाद के साथ लोगों को इस संदर्भ में देखा तो पता चला कि उनके जीन सामान्य सौर दिन से सिंक्रनाइज़ नहीं थे। एसा लगता था कि मृत्यु के समय वो एक अलग क्षेत्र में रह रहे थे।”
हुदा अकिल, पीएच.डी., यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन आण्विक और व्यवहार तंत्रिका विज्ञान संस्थान के सह निदेशक और Pritzker नुरसाइकीऐट्रिक विकारों की रिसर्च कंसोर्टियम के उम साइट की सह निदेशक कहती हैं कि यह निष्कर्ष पिछले अनुसंधान से आगे जाता हैं िजसमें जानवरों या मानव त्वचा कोशिकाओं का उपयोग हुआ था जो कि मानव मस्तिष्क की तुलना में आसानी से उपलब्ध हैं।
“दैनिक लय बहुत संवेदनशील होती हैं अौर इस शोध से सैकड़ों नए जीनों उभरे है जिनकी गतिविधि दिन-भर में बढ़ती और गिरती हैं। हम वास्तव में अध्ययन करके, जैविक गतिविधि की एक सिम्फनी बजते हुये देख सकते हैं और अब यह पता लगाने में सक्षम हैं कि दैनिक लय की घड़ी मृत्यु के समय कहा बंद हुई थी। निराश लोगों में यह कैसे बाधित है यह भी देख सकते है।”
वह कहती हैं कि यह वैज्ञानिकों को विषाद के पूर्वानुमान करने के लिये, उपचार के लिए नए तरीके खोजने के लिए, अौर परीक्षण कर नई दवाओं की खोज करने में मदद करेगा। इस से एक और संभावना यह हैं कि अवसाद के बायोमार्कर की पहचान किया जा सकते है जो रक्त, त्वचा या बालों में मौजूद रहता है ।
“दैनिक ताल निराश रोगियों में क्यों बदल जाता है, यह निर्धारित करने की चुनौती अभी भी बनी हुई है। हम केवल यह देख सकते हैं कि विघटन के एक से अधिक कारण हो सकते है। हमें इसके बारे में अधिक जानने की जरूरत है क्योंकि अगर आप दैनिक घड़ी को ठीक कर सकते है तो शायद आप लोगों को बेहतर कर सकते हैं।”
टीम के नए निष्कर्ष के लिए डेटा की जांच कर रहे है और वे दान में दिये गये दिमाग की अतिरिक्त भी जांच जारी है। दिमाग की उच्च गुणवत्ता, और उनके दाताओं के जीवन और मृत्यु पर उपलब्ध डेटा इस परियोजना के लिए आवश्यक है, अकिल ने कहा। ऊतकों के पीएच स्तर मरने की प्रक्रिया से प्रभावित हो सकते हैं और अनुसंधान के लिए मौत और ऊतकों को जमाने के बीच के समय भी परिणामों को प्रभावित कर सकते हैं। टीम को नए दाताओं के रक्त और बाल के नमूने भी उपलब्ध होंगे।
शोधकर्ता कहते हैं कि Pritzker फंडिंग अौर संघीय अनुसंधान के वित्तपोषण के संयोजन से इस मुद्दे का खोजपूर्ण तरीके से अध्ययन संभव हुआ। अनुसंधान को पहले मानसिक स्वास्थ्य के राष्ट्रीय संस्थान से कोंते केंद्र अनुदान द्वारा वित्त पोषित किया गया है, और आंशिक रूप से विलियम शेर पेनजर फाउंडेशन, डेला मार्टिन फाउंडेशन, नौसेना अनुसंधान कार्यालय (N00014-09-1-059 और N00014-12 -1-0366) , नेशनल एलायंस स्किट्सफ्रीनीअ अनुसंधान और अब्रामसन परिवार फाउंडेशन का अवसाद अन्वेषक पुरस्कार, और एक अंतर्राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य अनुसंधान संगठन – जॉनसन एंड जॉनसन राइजिंग स्टार ट्रांस्लेशनल अनुसंधान पुरस्कार के द्वारा वित्त पोषित किया गया।
ली और अकिल के अलावा, अध्ययन के लेखक हैं बिलिन जी बनी, फैन मेंग, मेगन एच. हैगनूअर, डेविड एम. वॉल्श, मार्क्विस पी. वाटर, साइमन जे इवांस, प्रभाकर वी. चौधरी, प्रेस्टन कार्टाजेना, जैक डी. बरचास, एलन एफ शाटबर्ग, एडवर्ड जी जोन्स, रिचर्ड एम. मायर्स, उम MBNI के सह निर्देशक स्टेनली जे वाटसन, जूनियर, और विलियम ई. बनी।
संदर्भ: PNAS प्रारंभिक संस्करण, www.pnas.org/cgi/doi/10.1073/pnas.1305814110