नये तकनीक से रक्त में छोटे आरएनए कैंसर बीकन मिल सकते है

जुलाई 2, 2015
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मिशिगन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने उन्हें कुशलता से रक्त में आनुवांशिक जानकारी बुलाया microRNAs के टुकड़े की पहचान करने की अनुमति देता है कि एक तकनीक विकसित की है। अग्रिम एक तरह से करने के लिए एक दिन का नेतृत्व एक साधारण रक्त परीक्षण के साथ एक बार कैंसर के कई प्रकारों के लिए स्कैन करने के लिए कर सकता है। इस उदाहरण में, लाल, नीले और काले रंग की किस्में, नई तकनीक में, देते हैं और छवि में ग्रे है जो डीएनए, करने के लिए अलग अलग है कि microRNAs प्रतिनिधित्व करते हैं। एक शाही सेना देता है और पलक की विशेष पैटर्न माइक्रो RNA जुड़ी है, जो शोधकर्ताओं बताता है जब डीएनए फ्लोरोसेंट चमकता है। छवि क्रेडिट: MolGraphicsमिशिगन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने उन्हें कुशलता से रक्त में आनुवांशिक जानकारी बुलाया microRNAs के टुकड़े की पहचान करने की अनुमति देता है कि एक तकनीक विकसित की है। अग्रिम एक तरह से करने के लिए एक दिन का नेतृत्व एक साधारण रक्त परीक्षण के साथ एक बार कैंसर के कई प्रकारों के लिए स्कैन करने के लिए कर सकता है। इस उदाहरण में, लाल, नीले और काले रंग की किस्में, नई तकनीक में, देते हैं और छवि में ग्रे है जो डीएनए, करने के लिए अलग अलग है कि microRNAs प्रतिनिधित्व करते हैं। एक शाही सेना देता है और पलक की विशेष पैटर्न माइक्रो RNA जुड़ी है, जो शोधकर्ताओं बताता है जब डीएनए फ्लोरोसेंट चमकता है। छवि क्रेडिट: MolGraphicsएन आर्बर – कैन्सरस ट्यूमर रक्त में छोटे आनुवंशिक अणु छोडते है जिसे माइक्रोआरएनए के रूप में जाना जाता है। अब मिशिगन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने उसका पता लगाने के लिए एक कारगर तरीका निकाला है।

शोधकर्ता कहते है कि उनके शोध के अनुसार एक सस्ते रक्त परीक्षण से एक साथ 100 से भी अधिक विभिन्न प्रकार के कैंसर की छानबीन हो सकेगी।

“इस टेक्नालजी से कैंसर के हाई रिस्क वाले व्यक्तियों में कैंसर की पहले पहचान हो जायेगी और बेहतर आकलन हो सकेगा कि कैंसर रोगियों में चिकित्सा कितनी अच्छी तरह से काम कर रहा हैं,” डॉ मुनिश तिवारी ने कहा, जो यू-एम मेडिकल स्कूल में इंटरनल मेडिसिन के रे और रूथ एंडरसन-लारेंस एम सप्राग मेमोरियल अनुसंधान के प्रोफेसर और इंजीनियरिंग कॉलेज में बायोमेडिकल इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर हैं।

इस टेक्नालजी की उपलब्धी में अभी कई साल है, शायद एक दशक भी हो सकता है। लेकिन शोधकर्ताओं की इस अत्यंत तेज़ तकनीक से ऊँची उम्मीदे है। इस तकनीक ने नैनोस्केल टुकड़ो को तरल पदार्थ के धब्बों में से चुन लिया।

“हमने रक्त में किसी भी प्रकार के आरएनए का पता लगाने के लिए एक नया उदाहरण, एक नया सिद्धांत विकसित किया है ,” निल्स वाल्टर ने कहा, जो यू-एम साहित्य, विज्ञान, और आर्ट्स कॉलेज में रसायन शास्त्र और बायोफिज़िक्स के प्रोफेसर है।

वाल्टर और तिवारी प्रकृति बाइओटेक्नालजी में प्रकाशित अध्ययन के वरिष्ठ लेखक हैं।

आरएनए का मतलब है Ribonucleic एसिड, जो अणु के एक वर्ग के सदस्य है और डीएनए ब्लूप्रिंट से जीवित चीजों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है।

दशकों से वैज्ञानिक सोचते थे कि आरएनए मुख्य रूप से एक दूत हैं : यह डीएनए से आनुवांशिक जानकारी लेकर प्रोटीन बनाने वाली अणुओं के साइटों को देता हैं – अनिवार्य रूप से ये परिश्रमी मालक्यूल हमारे जीन में इनकोड किये गये आदेश का पालन करता हैं।

लेकिन जब वैज्ञानिकों ने 2003 के आसपास मानव जीनोम अनुक्रमण को समाप्त किया, तब पता चला कि उसमे 90 प्रतिशत आरएनए बनाने की जानकारी थी। यह अधिकतर मेसन्जर आरएनए नहीं थे जो प्रोटीन बनाने में मदद करते है।

“जैव रसायन का क्षेत्र लगभग 100 साल पुराना है,” वाल्टर ने कहा। “और लंबे समय तक हमने प्रोटीन पर ध्यान केंद्रित किया। मानो कि हम गलत चीज का अध्ययन कर रहे थे।

“आरएनए स्तनधारी और मानव जीवन समझने के लिये महत्वपूर्ण है लेकिन इस आनुवंशिक मटिरीअल पर काफी कम अध्ययन किया गया है। अभी तो इसके फंगक्शन की खोजों की शुरुआत है।” उदाहरण के लिए माइक्रोआरएनए की अणुओं के छोटे स्ट्रैन्ड है मैसेंजर आरएनए के साथ बदं कर आनुवंशिक कोड के टुकड़ो को रोकने का काम करते हैं। हमारे शरीर में 1,000 से अधिक किस्में मौजूद हैं।

शोधकर्ताओं का कहना है कि यह सीधे या परोक्ष रूप से लगभग सभी प्रमुख जीवन प्रक्रियाओं को नियंत्रित करते हैं। एक विशेष माइक्रो आरएनए के बहुत अधिक या बहुत कम होने से ट्यूमर को बढ़ावा मिल सकता हैं।

कैंसर कोशिकायें ख़राब हुये स्वस्थ सैलों से आते हैं, इसलिए उन में भी माइक्रो आरएनए है। इस आनुवंशिक सामग्री के छोटे किस्में रक्त में पहले पाये गये है (हालांकि सफलतापूर्वक नही) और वैज्ञानिकों के पास इसके लिये कई अनुमान है।

एक कैंसर कोशिका जब मर कर टूट जाता है तो माइक्रो आरएनए रिहा हो जाते है। और कैंसर कोशिकाये, माइक्रो आरएनए (जो खून में हार्मोन के रूप में काम करती हैं ) के माध्यम से एक दूसरे के साथ बातचीत कर सकती हैं। यह माइक्रो आरएनए नई तकनीक में कैंसर बीकन बन कर रोगियों में कुशलता से कैंसर पता लगाने में मदद कर सकता है, शोधकर्ताओं का कहना है।

उनके प्रयोगों में, उन्होनें एक गिलास स्लाइड को “कैप्चर प्रोब” नामक अणुओं से लेपित किया जो अपने आसपास से माइक्रो आरएनए को पकड़ लेगा। फिर, विभिन्न परीक्षणों में, उन्होनें पाँच अलग-अलग माइक्रो आरएनए युक्त घोल में स्लाइड को गिरा दिया। एक कैस में, घोल में मानव रक्त सीरम था (जिसमे से ब्लड सेल को हटा दिया गया है) जो माइक्रो आरएनए को कैरी करता है।

उन्होनें पलक दर या “काइनेटिक फिंगरप्रिंट के आधार पर विभिन्न माइक्रो आरएनए के कब्जे की पुष्टि की ।” हालांकि माइक्रो आरएनए रक्त सीरम में पहले पाया गया है लेकिन यह अप्रोच अधिक प्रत्यक्ष है और इसमे फॉल्स पाज़िटिव नही मिलता है।

अध्ययन का शीर्षक है “काइनेटिक फिंगरप्रिंटिंग से एकल न्यूक्लिक एसिड की पहचान और गिनती”। अन्य योगदानकर्ताओं में पहले लेखक यू-एम के सिकंदर जॉनसन-बक, दाना फार्बर कैंसर संस्थान और पीकिंग विश्वविद्यालय के शिन सू में शामिल हैं; यू-एम मेडिकल स्कूल की मारिया जिरालडेज; और पीकिंग विश्वविद्यालय के मेपिंग झाओ भी है।

इस शोध को अमेरिका के रक्षा विभाग से कुछ वित्त पोषित किया गया। यू-एम बौद्धिक संपदा के लिए पेटेंट संरक्षण में लगे हैं, और प्रौद्योगिकी के व्यावसायीकरण के लिये साथी की तलाश कर रहे है।

अधिक जानकारी:

निल्स वाल्टर
मुनिश तिवारी