न्यूटाउन के बाद: हथियार पता लगाने वाले रडार का नया उपयोग?

मार्च 28, 2013
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एन आर्बर: कनेक्टिकट स्कूल की शूटिंग के बाद जब अमेरिका हैरान था कि यह कैसे हुआ और इसे कैसे रोका जा सकता है, कमल साराबंदी खबर सुन रहे थे।

मैंने कहा, इसे रोकने के लिये कोई बेहतर तरीका होगा,” साराबंदी ने कहा।

फिर उंहे आविर्भाव हुअा। साराबंदी यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर है। उनकी विशेषता दूरसंवेदी वस्तुओं का पता लगाने और दूरी से जानकारी एकत्र करना है। और कई सालों तक – 2012 के मध्य में समाप्त, उन्होनें रक्षा विभाग द्वारा निधिबद्ध, निर्धारित गति सीमा तोड़ने वाले चालकों को पकड़ने वाले पुलिस रडार को सुधार कर उससे व्यक्ति के शरीर में छुपे हथियार और बम पकडने का काम किया।

रक्षा विभाग ने इसका उपयोग सैन्य के लिए सोचा था। लेकिन न्यूटाउन के बाद, साराबंदी ने सोचा कि क्या उनका अनुसंधान हथियार पकडने के काम आ सकता हैं। शायद उनकी मिलीमीटर लहर रडार प्रणाली व्यस्त स्थानों पर जहां हथियार ले जाने की अनुमति नहीं हैं वहाँ छुपे हथियार और बम को पहले ही पकड ले।

प्रोफेसर कमल साराबंदी एक पुतले के पास जिसका उपयोग वो एनेकोएक कक्ष में हथियारों का पता लगाने वाले रडार प्रणाली के परीक्षण के लिये करते है। उनकी प्रौद्योगिकी संभवतः फुटबॉल मैदान की दूरी से एक सेकंड से भी कम समय में निकट व्यक्ति पर बंदूक या बम की पहचान कर सकता है। मार्सिन सिपानर्सकी/ मल्टीमीडिया निर्माता, यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग द्वारा फोटोप्रोफेसर कमल साराबंदी एक पुतले के पास जिसका उपयोग वो एनेकोएक कक्ष में हथियारों का पता लगाने वाले रडार प्रणाली के परीक्षण के लिये करते है। उनकी प्रौद्योगिकी संभवतः फुटबॉल मैदान की दूरी से एक सेकंड से भी कम समय में निकट व्यक्ति पर बंदूक या बम की पहचान कर सकता है। मार्सिन सिपानर्सकी/ मल्टीमीडिया निर्माता, यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग द्वारा फोटो“स्कूलों, हवाई अड्डों, स्टेडियमों, या शॉपिंग मॉल जहाँ कहीं भी बड़ी संख्या में लोग इक्कट्ठा है जिनको आप को बचाना चाहते है,” साराबंदी ने कहा।

यह एक फुटबॉल मैदान की दूरी से काम कर सकता है, और प्रति व्यक्ति के लिये एक सेकन्ड लेता है। यह मेटल डिटेक्टर की तुलना में बहुत तेज और अधिक सुविधाजनक है, साराबंदी ने कहा।

यह रडार प्रणाली कोई नई तकनीक नहीं है, सभी रडार की तरह, यह भी वस्तुओं की पहचान बाहर भेजे गये रेडियो तरंगों को उछाल कर करता हैं। उदाहरण के लिए साराबंदी के विशेष मिलीमीटर तरंग प्रणाली का इस्तेमाल कारों में टक्कर परिहार तंत्र, उपग्रह संचार और सैन्य लक्ष्यीकरण और ट्रैकिंग में होता हैं।

साराबंदी डॉपलर रडार सिग्नल प्रोसेसिंग को जोडकर शोरभरे रडार दृश्य में चल रहे व्यक्ति के हस्ताक्षर लेते हैं। फिर वह रडार ध्रुवनमापन नामक तकनीक का उपयोग कर पैदल यात्री के धड़ से आने वाले संकेत का उपयोग कर संकेतक जलजलाहट ढूंढते है जो छिपी धातु वस्तु से आती हैं।

उन्होनें लोगों पर, या असली बंदूकों वाले लोगों पर प्रौद्योगिकी का परीक्षण नहीं किया हैं। लेकिन कंप्यूटर सिमुलेशन किया है। उन्होंने गूंज कम करने वाले कक्ष में चमड़े की जैकेट पहने पुतले में कील जुड़ी मोम ब्लॉक छुपा कर प्रयोग किए। नाखून ब्लॉक एक अस्थायी विस्फोटक के स्थान पर उपयोग किया गया था।

यह सिद्धान्त ऐसे काम करता है: डॉपलर रडार, जो मौसम और गति जाल अनुप्रयोगों के लिए प्रसिद्ध है, वस्तु की गति मापने के लिये डॉपलर प्रभाव का उपयोग करता है। उदाहरण के लिए मौसमविज्ञानी बता सकते हैं तूफान कितनी तेजी से आ रहा है। साराबंदी इसका इस्तेमाल करते है परिलक्षित संकेत से मानव के हिस्सों की पहचान के लिये अौर छुपे हथियार खोजने के लिये।

ऐसा करने के लिए उन्होनें पहले कई मानव अंगों और धड़ों के गति कब्जा करने के लिये इलेक्ट्रोड संलग्न किये और उन्हें यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन के ३-डी प्रयोगशाला में चलाया। इस गति की रिकॉर्डिंग से उन्हें जीवित एनिमेशन मिल गया।

प्रोफेसर कमल साराबंदी बंदूक के साथ और बंदूक के बिना विषय  के अंतर  को रडार पर दर्शाते है। मार्सिन सिपानर्सकी/ मल्टीमीडिया निर्माता, यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग द्वारा फोटोप्रोफेसर कमल साराबंदी बंदूक के साथ और बंदूक के बिना विषय के अंतर को रडार पर दर्शाते है। मार्सिन सिपानर्सकी/ मल्टीमीडिया निर्माता, यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग द्वारा फोटोउसे अपनी डॉपलर रडार परावर्तन पर अनुकरण करके, एक सामान्य आकार मिला जिसे वह कंप्यूटर प्रोग्राम से पहचान करवा सकते है। अप्रशिक्षित आँखों को यह एक काँटेदार ग्राफ है, लेकिन साराबंदी को यह “चलने का डीएनए.” है। यह मनुष्य के लिए विशिष्ट हैं, इसकी पुष्टि करने के लिये संकेत के साथ तुलना एक छोटे बालों वाली लैब्राडोर कुत्ते से की।

जब वह रडार पर लोगों को देखने लगे, उन्होंने तेजी से धड़ की जाचं की। इसके दो कारण थे – लोग अक्सर वहाँ हथियार छिपाते है, और अपेक्षाकृत चिकनी पृष्ठभूमि के विरुद्ध हथियार देखने की क्षमता भी हैं।

जब प्रौद्योगिकी को कार्यान्वित करने का समय आया, साराबंदी और उनके सहयोगी एक पुतले खरीदाने गये। वे एन आर्बर में एक दुकान में गये जो बंद हो रहा था। उन्होंने उसे एक कोट पैन्ट किया जो कि रडार में मानव त्वचा को दर्शाता है। फिर पुतले को अंधेरे कक्ष मे रखा जहाँ दीवारों, फर्श और छत से फोम के शूल झूल रहे थे। ये शूल प्रतिध्वनियों पकड़ने और कक्ष को नियंत्रित कर परीक्षण के लिए जरूरी है।

शोधकर्ताओं ने हथियारों देखने के लिए पोलरिमेट्रिक रडार का उपयोग किया। यह तकनीक एक निश्चित ध्रुवीकरण पर संकेत भेजता है और वापस लपकने वाले संकेत का विश्लेषण करता है।

ध्रुवीकरण किसी इलेक्ट्रोमैग्नेटिक विकिरण या प्रकाश की किरण के बिजली के क्षेत्र को संदर्भित करता है। सूरज की रोशनी तरंगित नहीं है, लेकिन जब वो चिकनी सतहों पर पडती हैं, जो बिजली का आचरण नहीं करता हैं, तब वो तरंगित हो जाती हैं। “तो अगर हम देखते हैं कि वापस लपकने वाले संकेत भेजे गये ध्रुवीकरण से काफी अलग हैं तो हम जानते हैं कि व्यक्ति कुछ ले जा रहा है,” साराबंदी ने कहा।

साराबंदी का सुझाव दूरी से लोगों के समूह को स्कैन कर सकता हैं। अगर सुरक्षा गार्ड किसी व्यक्ति को अधिक बारीकी से देखना चाहते हैं तो झंडी दिखाकर एक तरफ खींच सकते है या उन्हें अधिक संवेदनशील उपकरणों से स्कैन कर सकते हैं।

आज साराबंदी और उनके सहयोगी रोबोट के लिए छोटे प्रणाली पर काम कर रहे हैं, और वे सेना द्वारा वित्त पोषित हैं। प्रणाली के विकास और घरेलू तैनात के लिये अधिक शोध, और सार्वजनिक चर्चा की जरूरत हैं। लेकिन समाधान खोज रहे राष्ट्र के लिए एक विचार है।

साराबंदी रूफस एस तीसडेल इंजीनियरिंग प्रोफेसर है।