भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में स्तन कैंसर का निदान, अस्तित्व कम दरों में

फ़रवरी 7, 2013
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भारतीय ग्रामीण महिला. (शेयर छवि)एन आर्बर- यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन द्वारा िकये गए एक अध्ययन के अनुसार िवकसित देशों में महिलायें स्तन कैंसर के िनदान के बाद गरीब अौर मध्यम आय वाले देशों की महिलाओं की तुलना मेेॅ १० साल अधिक जिवित रहति हैॅ।

अध्ययन के प्रमुख अनुसंधाता राजेश बालकृष्णन ने, जो यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन के फार्मेसी और सार्वजनिक स्वास्थ्य स्कूल में एसोसिएट प्रोफेसर है, कहा कि ये रिपोर्ट महिलाओं को दिये गये स्वास्थ्य सेवाओं की सुलभता के अभाव को दर्शाता हैं।

शीघ्र निदान और अनवरत उपचार सबसे बड़ी बाधायें हैं अौर रोगी अस्तित्व के मुख्य संकेतक थे, उन्होंने कहा।

बालकृष्णन और उनके सहयोगियों ने भारत के दक्षिणी ग्रामीण जिले उडुपी में लगभग ३०० महिलाओं को अध्ययन किया। कैंसर की अवस्था के अनुसार मरीजों को कीमोथेरेपी पथ्य की तीन दवाअो में से एक प्राप्त हुई। रोगियों में केवल २७ प्रतिशत को कैंसर के प्रारंभिक अवस्था में निदान किया गया और वो लगभग ११ साल तक जिवित रहे। अधिकतर रोगियों को अग्रिम चरणों में निदान किया गया, और वो निदान और उपचार के बाद दो से डेढ़ साल ही बच पाये।

बालकृष्णन ने कहा कि निदान अग्रिम चरणों में होता हैं क्योंकि उन ग्रामीण क्षेत्रों में स्क्रीनिंग की सुविधा उपलब्ध नहीं है। डर, गरीबी और अज्ञानता के कारण भी स्तन कैंसर के उपचार और निदान में विलंब होता है। निदान जल्दी होने के बावजूद भी स्तन कैंसर कीमोथेरेपी उपचार के विकल्प – सामान्य

सस्ती अौर आसानी से उपलब्ध विकल्प – भी सीमित है। केवल अग्रिम चरणों के रोगियों को सबसे वर्तमान और महंगे उपचार प्राप्त होते हैं, बालकृष्णन ने कहा।

“मुझे लगता है कि अगर ट्यूमर जल्दी पकङा जाता है और उसका आक्रामक उपचार होता है, रोगी एक अतिरिक्त दशक बचने की उम्मीद कर सकता हैं” बालकृष्णन ने कहा। “लेकिन अभिगम और अवलम्बन

से इष्टतम उपचार पालन करना गरीब देशों में महिलाओं के लिए बहुत मुश्किल होता है।”

भारत में स्तन कैंसर के एक बढ़ती हुई समस्या है, अौर २२ महिलाओं में से१ में यें रोग विकसित होने का अनुमान हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका में ८ महिलाओं में से १ में ये रोग विकसित होने का अनुमान हैं, यहा स्तन कैंसर का दर अधिक है, पर जीवित रहने का दर भी बहुत अधिक है। उदाहरण के लिए, भारतीय महिलाओं मे पांच साल के जीवित रहने का दर ६० प्रतिशत है, विकसित देशों में यह ७९-८५ प्रतिशत हैं। इसके अतिरिक्त, अध्ययनों से पता चला है कि भारतीय महिलाओं में पश्चिमी देशों की तुलना में स्तन कैंसर लगभग एक दशक पहले विकसित हुअा था।

दुनिया भर में सालाना १.४ लाख नए स्तन कैंसर के नए मामलें होते हैं, और बाकी कैंसर में१० प्रतिशत शामिल हैं, यह दुनिया में दूसरा सबसे आम कैंसर है।

अन्य शोधकर्ता – डेज़ी ऑगस्टीन, अनंत नायक नागप्पा, नयनिभिरामा उड़ूपा, और बी एम वदिराजा – भारत में मणिपाल विश्वविद्यालय के साथ संबद्धित हैं।