भारत के ‘ट्विटर-चीफ’: मोदी के सोशल मीडिया ब्रैन्ड की डिकोडिंग
एन आर्बर- ट्विटर पर 36 मिलियन फालोअर के साथ, भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी दुनिया में, डोनाल्ड ट्रम्प के बाद, ट्विट्टरस्फेयर के नंबर दो लोकप्रिय राजनीतिज्ञ हैं।
जिस तरह से मोदी अपने विरोधियों के खिलाफ व्यंग्य का इस्तेमाल किया हैं, वह मिशिगन यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ इन्फोर्मेशन के एक नए स्टडी का केंद्र है, जिसमें मोदी द्वारा छह साल की अवधि में 9,000 से अधिक ट्वीट्स का विश्लेषण किया।
स्टडी करने वाली टीम के प्रमुख अौर सहायक प्रफेसर जॉयजीत पाल ने कहा, ‘हमने कोशिश की और पाया कि कौन सी चीज उन्हें लोकप्रिय बनाती है। मोदी के व्यंग्य से एक तरह की राजनीतिक हलचल की स्थिति पैदा हो जाती है, जो सोशल मीडिया पर भी दिखाई देती है। यही वजह है कि ऐसे ट्वीट ज्यादा रीट्वीट भी किए जाते हैं।’
इंटरनेशनल जर्नल ऑफ कम्युनिकेशन में प्रकाशित, अध्ययन ने देखा कि भारत के प्रधानमंत्री प्रमुख रूप से इन 9 थीम्स पर ट्वीट करते हैं, जो हैं- क्रिकेट, राहुल गांधी (कांग्रेस पार्टी के उपाध्यक्ष), मनोरंजन, व्यंग्य, भ्रष्टाचार, विकास, विदेशी मामले, हिंदू धर्म, विज्ञान और तकनीक।
लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात जो शोधकर्ताओं को लगी, वह थी पीएम मोदी की राजनीतिक शैली। उनका राजनीतिक व्यंग्य और कटाक्ष फौरन ध्यान आकर्षित करने वाला रहता है। कोडिंग के बाद, उन्होंने पाया कि व्यंग्यात्मक ट्वीट्स चुनाव और चुनाव प्रचार के समय ज्यादा किए गए।
राष्ट्रीय चुनावों के दौरान मोदी के कई ट्वीट में मुख्य विपक्षी दल को भ्रष्ट और उसके नेता राहुल गांधी को ‘राहुल बाबा’ और ‘शाहजादा’ कहकर संबोधित किया।हास्य और व्यंग्य का इस्तेमाल कर पीएम यह संकते दे रहे थे कि कांग्रेस अपनी जड़ों से जुड़ी नहीं है। ऐसे ही ट्वीट में मोदी ने कहा था, ‘जिस तरह कॉमिडी के झींटे मारकर राहुल बाबा बयान दे रहे हैं उससे मुझे लगता है कि कपिल शर्मा का टीवी शो जल्द ही बंद हो सकता है।’
यू-एम के शोधकर्ताओं के अनुसार, चुनावी रैलियों के दौरान हास्य स्लोगन की परंपरा रही हैं जिसका इस्तेमाल मोदी ने किया। पाल ने कहा, ‘कई बार ऐसे हमले किए गए हैं जिनमे शब्दों और चुटकुलों का प्रयोग बड़ी ही चतुराई से किया गया।’
यद्यपि सोशल मीडिया मोदी के भारतीय जनता पार्टी के पारंपरिक ग्रामीण और पेरी-शहरी उच्च जाति के हिंदू मतदाताओं तक पहुंच नहीं पाई, उन्होंने प्रधान मंत्री की अपील को नए युवा शहरी निर्वाचन क्षेत्र में विस्तारित किया।
“चुनाव के बाद, गांधी के व्यंग्य और उल्लेख गायब हो जाते हैं,” पाल ने कहा। “इसके बजाय, सेलिब्रिटी का उल्लेख और विदेशी नीति के बारे में ट्वीट्स नाटकीय रूप से वृद्धि हुई है।”
शोधकर्ताओं के अनुसार,व्यंग्यात्मक ने हिंदुत्व-उन्मुख की जगह “भारत प्रथम” से मोदी ने एक अधिक धर्मनिरपेक्ष स्थिति प्राप्त की।
पाल ने कहा, “सरस्वम मोदी से अौर उनके बारे में संदेश है।”
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अध्ययन
जॉयजीत पाल