मरते हुये दिमाग में चेतना का विद्युत हस्ताक्षर

यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन के पशु अध्ययन के अनुसार नैदानिक मौत के बाद मस्तिष्क उच्च विद्युत गतिविधि दिखाता है

एन आर्बर, यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन स्वास्थ्य प्रणाली के शोध के अनुसार दुनिया भर में कार्डीऐक अरेस्ट के बचे लोगो द्वारा मौत के समान अनुभव का रिपोर्ट विज्ञान पर आधारित हो सकता है।

मरता हुअा दिमाग कैसे और क्या जागरूक गतिविधि करने में सक्षम है, यह सालों से बहस का विषय बना हुआ हैं।

लेकिन इस सप्ताह PNAS के प्रारंभिक संस्करण में, एक यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन का अध्ययन दिखाता हैं कि नैदानिक मृत्यु के बाद जब दिल की धड़कन बंद हो जाती है और मस्तिष्क की तरफ रक्त बहना बंद हो जाता है, चूहों के मस्तिष्क में जागरूक धारणा के लक्षण अौर गतिविधि पैटर्न दिखता हैं।

“जानवरों में किये गये इस अध्ययन ने पहली बार मरते हुये मस्तिष्क के स्नायु अौर शारीरिक स्थिति का विवरण दिया है,” अध्ययन के प्रमुख लेखक जिमो बोरिजिन पीएच.डी., यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन स्वास्थ्य प्रणाली के आणविक और एकीकृत फिजियोलॉजी के एसोसिएट प्रोफेसर और नुरालजी के एसोसिएट प्रोफेसर, कहते हैं।

“यह शोध कार्डीऐक अरेस्ट के दौरान प्रकाश देखने जैसे अनुभूति सहित मरते समय मस्तिष्क में होने वाले मानसिक अनुभवों की जांच अौर भविष्य में मानव अध्ययन के लिए नींव रखेगा,” वह कहती हैं।

लगभग 20 प्रतिशत कार्डीऐक अरेस्ट के बचे लोग नैदानिक मौत के दौरान मौत के समान अनुभव होने का रिपोर्ट करते है। इस आभास और अभिज्ञता को पिछले अनुसंधानों में “वास्तविक से भी अधिक वास्तविक” कहा गया है, लेकिन हृदय की गति रुकने के दौरान क्या मस्तिष्क इस तरह की गतिविधि करने में सक्षम है, यह बात अस्पष्ट बनी हुई है।

“अगर मौत के समान अनुभव मस्तिष्क की गतिविधियों की वजह से उपजता है, तो हमारा तर्क है कि मस्तिष्क में रक्त के प्रवाह के समाप्ति के बाद भी मनुष्य या पशुओं में चेतना अौर तंत्रिका का संबद्ध पहचान योग्य होना चाहिए,” वह कहती हैं।

शोधकर्ताओं ने नौ असंवेदन चूहों में प्रयोगात्मक प्रेरित हृदय की गिरफ्तारी के दौरान electroencephalograms (EEGs) नामक मस्तिष्क गतिविधि की रिकॉर्डिंग का विश्लेषण किया।

कार्डीऐक अरेस्ट के 30 सेकंड के भीतर, सभी चूहों ने अस्थायी अत्यधिक सिंक्रनाइज़ मस्तिष्क गतिविधि प्रदर्शित किया जो अत्यधिक उत्तेजित मस्तिष्क का लक्षण हैं।

इसके अलावा, लेखकों ने श्वासावरोधन के दौरान चूहों के मरते हुये दिमाग में लगभग समान पैटर्न पाया।

“हमें कार्डीऐक अरेस्ट के दौरान मस्तिष्क में जागरूक गतिविधि के संकेत मिलेगें, इस पूर्वानुमान को डेटा ने पुष्टि किया,” बोरिजिनने कहा। उन्होनें अध्ययन के सह लेखक न्यूरोलॉजिस्ट माइकल एम. वैंग, एमडी पीएच.डी., तंत्रिका विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर और उम में आणविक और एकीकृत फिजियोलॉजी के एसोसिएट प्रोफेसर, के साथ २००७ में इस परियोजना की कल्पना की।

“लेकिन, हम उच्च स्तर की गतिविधि से हैरान थे,” अध्ययन के वरिष्ठ लेखक अौर ऐनिस्थीलजिस्ट, जॉर्ज मशूर, एमडी, पीएच.डी., यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन में एनेस्थिसियोलॉजी और न्यूरोसर्जरी के सहायक प्रोफेसर कहते हैं। “वास्तव में, मौत के समान अनुभव के दौरान मस्तिष्क के कई विद्युत हस्ताक्षर जाग्रत अवस्था में पाये गये स्तर को पार कर गये। इससे पता चलता हैं कि मस्तिष्क नैदानिक मौत के प्रारंभिक चरण के दौरान अच्छी तरह से आयोजित बिजली की गतिविधि करने में सक्षम है।

मस्तिष्क को हृदय की गति रुकने के दौरान निष्क्रिय मान लिया जाता है। हालांकि कार्डीऐक अरेस्ट के तुरंत बाद मस्तिष्क के स्नायु अौर शारीरिक स्थिति पर अब तक जांच नहीं किया गया था।

वर्तमान अध्ययन बोरिजिन और मशूर की प्रयोगशालाओं के बीच सहयोग से हुआ। उम के भौतिकविज्ञानी उनचिअल ली, पीएच.डी. ने विश्लेषण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाया।

“यह अध्ययन हमें बताता है कि कार्डीऐक अरेस्ट के दौरान ऑक्सीजन या ऑक्सीजन और ग्लूकोज दोनों की कमी मस्तिष्क गतिविधि को प्रोत्साहित कर सकती हैं जो सचेतन संसाधन की विशेषता है, ” बोरिजिन कहते हैं। “यह कार्डीऐक अरेस्ट के बचे लोगो द्वारा मौत के समान अनुभव का रिपोर्ट को पहली बार वैज्ञानिक रूपरेखा प्रदान करता है।”
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यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन के अतिरिक्त लेखक: तिचेंग लियू, दिनेश पाल, शॉन हाफ, डैनियल क्लार, जेनिफर सलोबोडो, और जेसन हर्नांडेज़।

संदर्भ: “मरते हुये मस्तिष्क में स्नायु अौर शारीरिक स्थिति जुटाना और कनेक्टिविटी की वृद्धि,” प्रारंभिक संस्करण, doi/10.1073/pnas.1308285110 PNAS.

धन: जॉर्ज मशूर, एमडी, पीएच.डी., का काम राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान के अनुदान GM098578 और जेम्स एस McDonnell फाउंडेशन द्वारा समर्थित किया गया था।