मस्तिष्क अपने कूड़े को कैसे साफ करता है, यह जानकारी मस्तिष्क संबंधी बीमारियाँ डिकोड करने में मदद कर सकता हैं
एन आर्बर—कल्पना करो अगर कचरा उठाने वाले मौजूद नहीं हो अौर कचरा धीरे-धीरे हमारे कार्यालयों, अौर हमारे घरों में जम हो जाये, यह बीमारी का कारण बन सकता है। यही नही, कचरा सड़कों, अौर कारों को गंदा कर सामान्य जीवन को असंभव कर सकता है।
मस्तिष्क का कूड़ा या मृत कोशिकाओं को भी जमा होने से पहले हटा दिया जाना चाहिए क्योंकि यह पार्किंसंस जैसी मस्तिष्क संबंधी दुर्लभ और आम बीमारियों का कारण बन सकती है। अब, यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन के शोधकर्ता इस महत्वपूर्ण प्रक्रिया को डिकोड करने के करीब है कि मस्तिष्क अपने मृत कोशिकाओं को कैसे साफ करता हैं, हाअोजिंग जू , यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन आणविक, सेलुलर और विकासात्मक जीवविज्ञान विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर ने कहा।
यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन के नये अध्ययन ने इन दो प्रक्रियाअों की पहचान की जिससे सेल की सफाई होती हैं – पहला एक आवश्यक कैल्शियम चैनल प्रोटीन TRPML1, जो मृत कोशिकाओं को साफ करने वाले सैल जिंहे माइक्रोफेज कहा जाता हैं, की मदद करता हैं। और दूसरा अलाइपिड अणु, जो TRPML1 को सक्रिय कर माइक्रोफेज द्वारा इन मृत कोशिकाओं को हटाने की अनुमति देता है।
इसके अलावा , जू के प्रयोगशाला ने एक कृत्रिम रासायनिक यौगिक की पहचान की हैं जो TRPML1 को सक्रिय कर सकता हैं। क्योंकि यह रासायनिक यौगिक अंत में इस सेल की क्लियरिंग प्रक्रिया को सक्रिय करने में मदद करता है , यह तंत्रिका संबंधी रोगों से निपटने के लिये दवा को लक्ष्य प्रदान करता है।
“यह दवा के लिये एक लक्ष्य है , ” जू ने कहा। “यह पेपर बताता है कि इस प्रक्रिया में क्या गलत हो रहा है।”
वैज्ञानिकों ने एक बहुत ही दुर्लभ नुराडिजेनरटिव रोग – टाइप ४ म्यूकोलिपडोसिस- को देखकर शुरूआत की जिसमें बच्चों में कई प्रकार की विकलांगता होती है।
जू के समूह ने पाया कि TRPML1 के अभाव से नुराडिजेनरटिव रोग को सकते है। अगर यह कैल्शियम चैनल काम नहीं करता है , कैल्शियम जारी नहीं होता हैं , और मृत कोशिकाओं को हटाया नहीं जाता है , जू ने कहा। कृत्रिम रासायनिक यौगिक सेल में कैल्शियम को रिहा करने TRPML1 कैल्शियम चैनल को उत्तेजित कर सकते हैं।
इसके अलावा , मृत कोशिकाओं “जीवित कोशिकाओं के लिए हनिकारक हैं , ” जू ने कहा। अतिरिक्त मृत कोशिकायें की उपस्थिति से मैक्रोफेज कोशिकायें आवश्यक स्वस्थ न्यूरॉन्स को भी मार सकते हैं जिससे नुराडिजेनरटिव रोग भी हो सकते है।
कई नुराडिजेनरटिव रोग होते हैं कुछ दुर्लभ और कुछ आम जैसे कि पार्किंसंस और ए एल एस। उनके बीच समानता यह हैं कि यहाँ कामकाजी न्यूरॉन्स की कमी है जो मस्तिष्क संबंधी प्रणाली को कार्य करने से रोकता है , जू ने कहा।
लिपिड अणु और रासायनिक यौगिकों की पहचान जो TRMPL1 के समुचित कार्य को उत्तेजित करता है, यह इन नुराडिजेनरटिव रोगों के इलाज में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है।
जू के अनुसंधान के अगले कदम इन मस्तिष्क संबंधी बीमारियों की सामान्य टिप्पणियों को परीक्षण करना हैं, अौर देखना हैं कि क्या यह पशु मॉडल में भी प्रभावी है।
“लाइसोसोम में एक टीआरपी चैनल फोकल एक्सोसाइटोसिस के माध्यम से बड़े कण फागोसाइटोसिस का नियंत्रा करता है, ” शीर्षक पेपर २९ अगस्त को विकास सेल में ऑनलाइन प्रकाशित हुआ।