यू-एम प्रोफेसर की भारतीय कला धरोहर
एन आर्बर- “कानसर की लिगेसी: नेस्टा और वाल्टर स्पिंक का संग्रह” नामक प्रदर्शनी यूनिवर्सिटी ऑफ़ मिशिगन के आर्ट म्यूज़ीअम में 18 जून से शुरू होगी।
प्रदर्शनी में 121 कला वस्तुओं और लघु भारतीय चित्रों, टेराकोटा की मूर्तियां, दक्षिण एशियाई लोक कला के टुकड़े और दुर्लभ विस्लर प्रिंट शामिल किये गये हैं जो सार्वजनिक प्रदर्शन में नहीं देखे जाते है हैं।
स्पिंक्स ने 1952 में भारतीय कला को एकत्रित करना शुरू किया जब वे पहली बार फुलब्राइट अनुदान पर भारत गये।
स्पिंक भारत में महाराष्ट्र के अजंता गुफाओं के इतिहास के एक प्रमुख विद्वान है। नेस्टा स्पिंक ने आर्ट म्यूज़ीअम में एक क्यूरेटर के रूप में समय बिताया और जेम्स विस्लर के लिथोग्राफ पर वो एक विशेषज्ञ थी। स्पिंक 2000 में यू-एम से रिटाइर हुये, लेकिन अभी भी अजंता गुफाओं के ‘कलात्मक परंपराओं और अनुसंधान के बारे में छात्रों को पढाते है।
यूनिवर्सिटी ऑफ़ मिशिगन की यह प्रदर्शनी प्रोफेसर एमेरिटस वाल्टर स्पिंक और उनकी पत्नी नेस्टा की विरासत को सम्मान करता है, और उनके द्वारा पिछले कुछ वर्षों में संग्रहालय को दिये गये कला वस्तु और चित्रों को दर्शाता है।
“हमने कुछ स्पेसमन एकत्र किये जिसने हमें प्रभावित किया,” वाल्टर स्पिंक ने कहा।
नातसू अोयोबे ने, जो यूनिवर्सिटी ऑफ़ मिशिगन के आर्ट म्यूज़ीअम में एशियाई कला की क्यूरेटर हैं, इस प्रदर्शनी में मदद की। उन्होंने कहा कि संग्रह में कई पीसिज़ भारतीय कला के समर्थक को उत्साहित करेगा।
“यह प्रदर्शनी भारत की विविधता को दिखाता हैं,” अोयोबे ने कहा।
यह प्रदर्शनी यूनिवर्सिटी ऑफ़ मिशिगन के आर्ट म्यूज़ीअम, 525 S. State St, एन आर्बर में जून 18 से सितम्बर 25 तक चलेगी।प्रवेश नि: शुल्क है। गैलरी मंगलवार से शनिवार तक 11 a.m. से -5 p.m. तक खुला हैं अौर रविवार और सोमवार को बंद हैं।
अधिक जानकारी:
यूनिवर्सिटी ऑफ़ मिशिगन के आर्ट म्यूज़ीअम
वाल्टर स्पिंक