टेक्नालजी विकासशील देशों में नेत्रहीन लोगों का जीवन बदल रहा हैं
एन आर्बर — वह पहले वकील बनना चाहता था क्योंकि भारत में उच्च तकनीक की नौकरियाँ नेत्रहीन को नहीं मिलता लेकिन इस खास टेक्नालजी के मिलने के बाद कंप्यूटर पर काम करना संभव हो गया और अब सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनना चाहता है।
” मैं कंप्यूटर के बारे में पागल हो गया। अब मैं केवल कंप्यूटर के साथ कुछ करना चाहता हूँ , ” भारतीय आदमी ने कहा जो भारत , पेरू और जॉर्डन में सर्वेक्षण किये गये 176 लोगों में से एक था। यह सरवे दिखाता है कि कंप्यूटर और अन्य उपकरणों का उपयोग कर के अंधे लोग कैसे सक्षम होते है।
यह शोध दिखाता हैं कि “मददगार टेक्नालजी ” जैसे कि – स्क्रीन रीडर्स और अन्य संचार सॉफ्टवेयर – नेत्रहीन लोगों के आर्थिक और सामाजिक आकांक्षाओं को बढ़ावा देता हैं। कम और मध्यम आय वाले देशों में अकसर वो अटक या कम कुशल नौकरियों में सीमित रहते हैं पर टेक्नालजी उन्हें आगे बढाता है।
“हमारे एक इन्टर्व्यूई ने कहा, ‘ टेक्नालजी सब काम नहीं कर सकता, लेकिन यह छोटा सा चमत्कार कर करता है, ” शोधकर्त्ता जायजीत पाल ने कहा जो यूनिवर्सिटी ऑफ़ मिशिगन के सूचना स्कूल में सहायक प्रोफेसर हैं।
अधिकतर उत्तरदाताओं ने कहा कि उन्हें काफी सालों तक पता नहीं था कि एक अंधा व्यक्ति कंप्यूटर का उपयोग कर सकता है। कई को सहायक टेक्नालजी के बारे में तब पता चला जब वो नौकरियों के लिये अप्लाइ कर रहे थे या संसाधन केन्द्रों के माध्यम से आवेदन कर रहे थे।
इन्टर्व्यू की सबसे दिलचस्प टिप्पणीयाँ:
पेरू से : ” मैं विंडोज, इंटरनेट , वर्ड सभी को उपयोग करना सीखा …. मेरे लिए, यह सबसे बढ़िया था। दुनिया में और कुछ भी नहीं था। मैं ने उन के साथ दुनिया जीत लिया।”
जॉर्डन से : “मददगार टेक्नालजी के बिना, विकलांग व्यक्तियों को अवमानीय लगता हैं। कम से कम कंप्यूटर के साथ काम करते समय यह महसूस नही होता कि आप अंधे हैं। “
भारत से : ” मैं बैंक में काम करता हूँ, तो बैंक में आने वाले ग्राहक मुझे ( नेत्रहीन ) देखकर अपने पड़ोस में इस जानकारी का प्रसार करते हैं।”
पाल विश्वास करते हैं कि स्मार्ट फोन और अन्य मोबाइल उपकरण नेत्रहीन लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभायेंगे क्योकि पर्सनल कंप्यूटर निम्न और मध्यम आय वाले देशों में सीमित है। यह स्टडी पाल और उनके सह लेखक , मीरा लक्ष्मणन, बंगलौर में एक स्वतंत्र शोधकर्त्ता ने किया।
” सहायक टेक्नालजी के साथ मोबाइल डिवाइस खरीदनाऔरत के स्वतंत्र होने की दृष्टि से बहुत जरूरी है , ” पाल ने कहा।
महिलाये अक्सर सहायक टेक्नालजी वाले मोबाइल डिवाइस के लिये पुरुषों की तुलना में $५०-६० अधिक देती हैं। इस के लिए एक संभावित व्याख्या यह हैं कि महिलाओं का सामाजिक नेटवर्क और बाजार जाना सीमित हैं। इस लिये महिलाओं को उच्च कीमत का नया हैंडसेट खरीदना पडता हैं।
अध्ययन में यह भी पाया कि नेत्रहीन नोकिया फोन अधिक पसंद करते हैं। ” इसका एक रीज़न यह हैं कि नूआन्स टॉक्स जो सहायक टेक्नालजी है नोकिया फोन पर चलता हैं, ” पाल ने कहा।
पाल का अनुसंधान अब दक्षिण कोरिया, मलावी, और दक्षिण अफ्रीका जैसे एशियाई और अफ्रीकी देशों में सहायक टेक्नालजी का प्रभाव देखेगा।
यह अध्ययन ICTD ’13: सूचना और संचार प्रौद्योगिकी और विकास पर छठे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन की कार्यवाही में प्रकाशित हुआ ।
संबंधित लिंक:
जायजीत पाल: www.si.umich.edu/people/joyojeet-pal