साइअन्टिस्टों ने देखा नसों और कैंसर सेल के बीच डेड्ली डान्स
एन आर्बर: कुछ प्रकार के कैंसरों में, नसें और कैंसर की कोशिकायें एक घातक और कठिन वाल्ट्ज डान्स से एक दूसरे की ओर कदम रखते है और अंत में कैंसर की कोशिकायें नसों में प्रवेश कर जाती हैं।
नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित यह शोध पारंपरिक पेरीन्युअरल आक्रमण की समझ को चुनौती देता है, निशा डी सिल्वा ने कहा जो मिशिगन यूनिवर्सिटी के डेन्टिस्ट्री स्कूल में प्रोफेसर और शोध की प्रधान लेखक हैं। उन्होनें कहा कि कैंसर सेल उपद्रवी होते हैं और कम से कम प्रतिरोध का रास्ता अपनाते हैं।
डी सिल्वा के लैब ने डिस्कवर किया कि पेरीन्युअरल आक्रमण दरअसल कैंसर सेल और नसों के बीच एक जटिल बाइओकेमिकल डान्स है।
“एक बार सिर और गर्दन में कैंसर सेल का हमला हो जाये तो इससे बुरा कुछ नही हो सकता,” डी सिल्वा ने कहा। “इसके बाद बचना मुश्किल हैं क्योंकि इसका कोई इलाज नही हैं। कुछ ट्यूमर ऐसा क्यों करते है और कुछ नहीं,” डी सिल्वा ने कहा, जिनका उ-एम मेडिकल स्कूल के पैथोलॉजी विभाग में भी संयुक्त नियुक्ति है।
पेरीन्युअरल आक्रमण सिर और गर्दन, पैन्क्रीऐटिक, पेट और कोलन कैंसरों में देखा गया हैं। इससे तेज दर्द या सुन्नता, ट्यूमर प्रसार और ट्यूमर का रीकरन्स, और फंगक्शन लास और अन्य जटिलतायें हो सकती है।
डी सिल्वा के शोध ने पाया कि पेरीन्युअरल आक्रमण शुरू होता है जब नसे एक स्टिम्यलस रिलीस करती हैं जो कैंसर सेल के विशेष प्रोटीन रिसेप्टर को ट्रिगर करता हैं। रिसेप्टर कैंसर में निर्देश सक्रिय कर वापस नसों को स्टिम्यलस भेजता हैं।
नसे स्टिम्यलस को पहचानती हैं और धीरे-धीरे कैंसर के करीब पहुंच जाती हैं। यह एक कमरे में दो डान्सर की तरह हैं जो एक दूसरे को पहचान कर आगे बढ़ते हैं जब तक वो स्थायी भागीदार नही हो जाते। इस प्रारंभिक पेरिंग के बाद लूप जारी रहता है।
सिर और गर्दन के कैंसर में पेरीन्युअरल आक्रमण का अध्ययन करना बहुत मुश्किल है। लाइव नमूनों में इसका निरीक्षण करने के लिए डी सिल्वा के लैब ने नया तरीका विकसित किया। पहले शोधकर्ताओं ने अंडे की झिल्ली में नसों को इम्प्लैन्ट किया। नस के जमने के बाद नसों, और सिर और गर्दन के कैंसर सेलों के बीच के इन्टरैक्शन का अध्ययन किया।
डी सिल्वा ने कहा कि शोध का अगला कदम पता लगाना हैं कि “इस डान्स को कैसे बंद किया का सकता हैं।”
शोध का टाइटल है “गलालिन सिर और गर्दन के कैंसर में नसों को मॉज्यूलैट कर पेरीन्युअरल आक्रमण का पक्ष लेता हैं।”
क्रिस्टीना स्कैनलन, जो डेन्टिस्ट्री स्कूल की ग्रैजूएट हैं, पेपर की पहली लेखका हैं। अन्य सह लेखक हैं: उ-एम डेन्टिस्ट्री स्कूल के रजत बनर्जी, रोनाल्ड Inglehart, मिन लियू, निकोल रूसो, अमिरता हरिहरन, एलिजाबेथ वान ट्यूबरजेन, सारा कोरसोन और शेर्लोट मिसरेटा; और मेडिकल स्कूल के इरफान असनगानी और अरूल चिनाइन ।
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