भारतीय कार्यक्रम उनके लिये संगीत है

अक्टूबर 21, 2016
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चेल्सी हम्म और केविन अलसवीड ने भारत कार्यक्रम में भरतनाट्यम सीखा। (फोटो क्रेडिट: चेल्सी हम्म)चेल्सी हम्म और केविन अलसवीड ने भारत कार्यक्रम में भरतनाट्यम सीखा। (फोटो क्रेडिट: चेल्सी हम्म)एन आर्बर- जब नौ मिशिगन यूनिवर्सिटी के छात्रों ने जुलाई में प्रोफेसर स्टीफन रश के साथ भारत के लिए अपनी यात्रा शुरू की, उन्हें लगा कि वे भारतीय शास्त्रीय संगीत सीखने के लिए जा रहे थे। लेकिन एक महीने बाद वे जीवन पर नए दृष्टिकोण के साथ लौटे।

योग का अभ्यास, एक अलग संस्कृति में समय बिताना, और विचार के लिए समय सिर्फ कुछ चीजें थी जिसने उनका दृष्टिकोण बदला।

“बीज अलग-अलग समय अंकुर होता हैं,” रश ने कहा जो यू-एम संगीत, रंगमंच और नृत्य के स्कूल में कला प्रदर्शन प्रौद्योगिकी के प्रोफेसर हैं। “सब नहीं लेकिन कई, वापस आकर अनके जीवन के उद्देश्य अौर अर्थ पर पुनर्विचार करते हैं।”

रश ने, जो खुद एक जैज संगीतकार और कम्पोज़र हैं, छात्रों के लिए 2005 में भारत ग्रीष्मकालीन कार्यक्रम बनाया। वे “कुछ असामान्य और तल्लीनीय” करना चाहते है।

हर साल छात्र कर्नाटक में मैसूर में एक महीना बिताते हैं।

वे वहाँ रहने स्वामी विवेकानंद यूथ मूवमेंट द्वारा चलाए गये हॉस्टल में रहते हैं, शाकाहारी भोजन खाते हैं और सुबह योग के साथ दिन शुरू करते हैं।

फिर वे अलग-अलग इलाकों में शिक्षक या गुरु के पास संगीत, नृत्य या गाना सीखने जाते है। ये क्लास आमतौर पर गुरु के घर पर होता है, जो कई परिवारों के लिए शिक्षण का केंद्र है।

रश ने कहा कि यह अनुभव छात्रों को अन्य संस्कृतियों के बारे में सिखाता हैं अौर शिक्षा रोजमर्रा के जीवन में कैसे संकलित है दिखाता है जो पारंपरिक पश्चिमी शिक्षा प्रणाली से अलग है।

केविन अलसवीड SMTD के मीडिया आर्ट्स कार्यक्रम में अंतिम वर्ष में है। उसने इस प्रोग्राम के बारे में अपने दोस्त से जाना जो पिछले साल भारत गया था। मैसूर में अलसवीड ने भरतनाट्यम सीखा।

अलसवीड ने कहा कि वहाँ की सांस्कृतिक और शैक्षिक अंतर सीखने में समय लगा “पहले हफ्ते में मैं दहशत की स्थिति में था”। “इससे आत्म प्रतिबिंब शुरू होता है। मैं ने नृत्य के बारे में सीखा, शिक्षण के बारे में सीखा और शिक्षक होने के बारे में भी सीखा।”

भारत का अनुभव चेल्सी हम्म को भी पसंद आया जो SMTD के InterArts कार्यक्रम में जूनियर है। काम कठोर होने के बावजूद वो अपने नृत्य शिक्षक, कृपा फड़के के साथ काफी घुलमिल गई।

“नृत्य मेरा पसंदीदा कला का रूप है,” हैम ने कहा। “भारत ने मुझे याद दिलाया कि मैं इसके बारे में इतनी भावुक क्यों हूँ।”

हैम ने कहा, जो कोरियोग्राफर होने की उम्मीद रखती है, कि इस एक महीने में उसे नया विश्वास प्राप्त हुआ। वो एक दिन भारत लौट कर अपने शिक्षक के साथ नृत्य सीखने की उम्मीद रखती है।

नृत्य, संगीत वाद्ययंत्र या गाने के क्लास के अलावा, छात्रों, ने नेतृत्व, भारत के इतिहास, और भारतीय सिनेमा के बारे मे जाना। उन्होंने भारतीय समाज को बेहतर समझने के लिये भी क्लास लिया।

शाम में उन्होनें मंदिरों, महलों और कॉन्सर्ट हॉल का दौरा किया।

एक हफ्ते वे केरल के समुद्र तट पर घूमने भी गये।

पीटर फेलसमैन चार साल पहले इस यात्रा पर गए थे। वहाँ आत्मनिरीक्षण कर उन्होनें संगीत को छोड दिया अौर सामाजिक कार्य में पीएच.डी. की डिग्री जॉइन कर ली।

“भारत में मुझे एहसास हुआ कि मैं भी मेरे समकालीनों और शिक्षकों की तरह सामाजिक कार्य करना चाहता हूँ,” उन्होंने कहा।

कार्यक्रम में फेलसमैन का अनुभव दर्शाता है कि संगीत और सांस्कृतिक विसर्जन छात्रों के जीवन को कैसे प्रभावित करता हैं।

“लोग पूछते है:। ‘ इस कार्यक्रम का क्या माने है?’ ‘रश ने कहा,” मैं कहता है,’ मैं ने छात्रों में गहरा व्यक्तिगत परिवर्तन देखा है, और बेहतर रूप में वापस आते हैं। ”

अधिक जानकारी:
यू-एम संगीत, रंगमंच और नृत्य का स्कूल