खुले में शौच से भारत में बढ़ती रेप का संबंध है
एन आर्बर — भारत में घरेलू शौचालय इस्तेमाल करने वाली महिलाओं की अपेक्षा खुले में शौच के लिए जाने वाली महिलाओं के साथ बलात्कार या यौन हिंसा की आशंका दोगुनी होती है, मिशिगन यूनिवर्सिटी के शोधकर्त्ता कहते हैं।
एक नए अध्ययन के अनुसार, जो महिलाएं खुले मैदान या रेलवे ट्रैक के पास खुले में शौच का उपयोग करती हैं, उनके साथ रेप या फिर यौन हिंसा की आशंका बनी रहती है।
“इससे पहले स्वच्छता अध्ययनों में से किसी ने भी शौचालय और महिलाओं पर यौन हिंसा के बीच संबंध पर ध्यान दिया है,” अपूर्व जाधव, ने कहा जो अध्ययन की प्रमुख लेखक और यू-एम के इन्स्टिटूट फार सोशल रिसर्च में पोस्टडाक्टरल फेलो हैं। “हमें नीति में बदलाव लाने के लिए उपाख्यानों से अधिक की जरूरत है।”
गुणात्मक अनुसंधान भारत और वियतनाम, केन्या और घाना सहित अन्य देशों में घरेलू स्वच्छता की कमी अौर यौन हिंसा को जोड़ता है, लेकिन कोई एम्पिरिकल अध्ययन नहीं किया गया है, जाधव ने कहा।
एक वैश्विक संकट
एक 2015 यूनिसेफ / डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया की लगभग आधी आबादी को स्वच्छता अौर शौच उपलब्ध नही हैं और उनमें से आधे भारत में रहते है। भारत में लगभग 300 लाख महिलाये और लड़कियाँ बाथरूम नहीं उपयोग करती है।
अनुसंधानकर्ता ने इस शोध में भारतीय राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे के हालिया डाटा को देखा और उसके आधार पर देश के 75 हजार महिलाओं से पूछे गए सवालों के जवाब का विश्लेषण किया। इस दौरान उनसे पूछा गया था कि घर में उनके घर में शौचालय है या नहीं, अगर नहीं है तो उन्हें किस तरह की हिंसा का सामना करना पड़ा है। इन्हीं सवालों के आधार पर रिसर्चर अपूर्वा जाधव ने पाया की भारत में उन महिलाओं को ज्यादा यौन हिंसा का सामना का करना पड़ता है जो बाहर शौच के लिए जाती हैं।
अध्ययन के अनुसार, भारत में 50 प्रतिशत स्वच्छता प्रयोजनों के लिए निर्मित संरचनाओं का अन्य प्रयोजनों के लिए उपयोग किया जाता है।
शोधकर्ताओं ने रेकमेन्ड किया हैं कि इन्फ्रस्ट्रक्चर में सुधार अौर महिलाओं का इन निर्मित शौचालय का उपयोग यौन हिंसा के खिलाफ कुछ स्तर तक सुरक्षा प्रदान कर सकता हैं।
उन्होंने कहा, ‘भारत में स्वच्छता के लिये कई राष्ट्रव्यापी अभियान किये गये है, जैसे कि स्वच्छ भारत मिशन जो शौचालय और सुरक्षा को राष्ट्र के नजरिये मैं लाता हैं,” जाधव ने कहा। “यह एक तत्काल आवश्यकता है जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता है।”
अध्ययन “घरेलू स्वच्छता सुविधाओं और भारत में महिलाओं का गैर-साथी यौन हिंसा का रिस्क” बायो मेड सेंट्रल जर्नल में प्रकाशित हुआ है। अन्य यू-एम शोधकर्ताओं में इन्स्टिटूट फार सोशल रिसर्च की अबीगैल वाईसमैन और एमिली स्मिथ-ग्रीनवे शामिल हैं।
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अध्ययन
अपूर्व जाधव